बेटियों जैसा कोई नहीं "ऋचा श्रीवास्तव "
पर्वत पर चढ़ कर, लोग मांगते हैं बेटा
क्यों नहीं कोई मांगता हम बेटियों सा
क्यों हर घर का रहता है एक ही नारा
बेटियों के बाद भी हो एक बेटा हमारा
ईश्वर के दर पर हम दोनों हैं एक
फिर क्यों बेटियां दी जाती हैं फेंक
क्यों बेटियों का घर ही रोता है
बेटों का लालच ख़त्म क्यों नहीं होता है
मुंह मोड़ लेते हैं हमसे सब
नहीं देते हैं हम, बेटा जब
सुन ले वह ज़माना आज
हम बेटियां नहीं किसी की मोहताज
अगर बेटा होते बेटियों से अच्छे
तो माँ-बाप बुढ़ापे में न यूं रोते
इसलिए तू लाख कर ले बेटा-बेटा
हम बेटियों जैसा नहीं कोई होता
"ऋचा श्रीवास्तव "
पटना 22/07/2017
पर्वत पर चढ़ कर, लोग मांगते हैं बेटा
क्यों नहीं कोई मांगता हम बेटियों सा
क्यों हर घर का रहता है एक ही नारा
बेटियों के बाद भी हो एक बेटा हमारा
ईश्वर के दर पर हम दोनों हैं एक
फिर क्यों बेटियां दी जाती हैं फेंक
क्यों बेटियों का घर ही रोता है
बेटों का लालच ख़त्म क्यों नहीं होता है
मुंह मोड़ लेते हैं हमसे सब
नहीं देते हैं हम, बेटा जब
सुन ले वह ज़माना आज
हम बेटियां नहीं किसी की मोहताज
अगर बेटा होते बेटियों से अच्छे
तो माँ-बाप बुढ़ापे में न यूं रोते
इसलिए तू लाख कर ले बेटा-बेटा
हम बेटियों जैसा नहीं कोई होता
"ऋचा श्रीवास्तव "
पटना 22/07/2017