"बेटी"
बेटी को याद आता है अपना बचपन
जब दूर देश से आते हैं पिताजी
बेटी की आँखों में भर जाते हैं आँसू
जब माँ प्यार भरा हाथ रखती है सर पर
बेटी भूल जाती है ससुराल का सारा पाठ
जब भाई रखता है घर में पहला कदम
बेटी को याद आती है मुट्ठी में बन्द तितिलियाँ
जब बहन के आने का मिलता है सन्देश
इस तरह बेटी, बहू बन कर भी
नहीं भुला पाती बाबुल का गलियारा
क्योंकि, उसकी आँखों के सामने
खुल जाती है एक साथ कई बन्द किताबें।
ऋचा श्रीवास्तव
15-11-2015
पटना